कभी सोचते हैं हो कुछ नया इस ज़िन्दगी में
और कभी बस यूँ ही जिये जाने को जी चाहता है
कभी सागर की लहरों से भी डरता नहीं दिल
कभी उन्हीं लहरों में समा जाने को जी चाहत है
कभी लगते हैं अपने बेगाने से
कभी बेगानों को भी अपना बनाने को जी चहता है
कभी शर्म नहीं आती गैरों से भी
कभी यूं ही शर्माने को जी चाहता है
कभी मिलता नहीं किसी के लाख कहने पर भी ये दिल
कभी किसी अंजाने से मिल जाने को दिल चाहता है
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0 stones hit me....wanna throw more??:
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