Today is children day.Just felt like to post something to re-earn those priceless memories.All those funny days with friends and all that.The days of joy, the days of school [:)]
Some days ago there was Alumni meet in my school but unfortunately i could not attend it.[:(]
But it feel really good when you meet your old mates after a long time..
Some lines are here just to summarize and visualize the past we had, the past we are missing a lot....
बचपन का ज़माना होता था,
ख़ुशियों का खज़ाना होता था ।
चाहत चाँद को पाने की,
दिल तितली का दीवाना होता था ।
खबर कुछ ना थी सुबह की,
ना शामों का ठिकाना होता था ।
थक हार कर आना स्कूल से,
फ़िर खेलने भी जाना होता था ।दादी की कहानियाँ होती थी,
परियों का फ़साना होता था ।
बारिश में कागज़ की कश्ती थी,
हर मौसम सुहाना होता था ।
हर खेल में साथी होते थे,
हर रिश्ता निभाना होता था ।
पापा डाँटा करते गलती पर,
मम्मी का मनाना होता था ।ग़म की ज़ुबाँ ना होती थी,
ना ज़ख्मों का पैमाना होता था ।
ना रोने की वज़ह होती थी,
ना हँसने का बहाना होता था ।
अब नहीं रही वो ज़िन्दगी...
जैसे बचपन का ज़माना होता था ।
Kahaan gaye wo din kahaan gayi wo baaten,
mujhe apna wo bachpan yaad aata hai...
Kehne ko to aage aa gaya hu main bahut,
sabkuch dikhta ab saral hi saral hai...
phir bhi na jane kyon kuch chhoota chhota sa lagta hai
wo kaise din the jab hum masti mein ghooma karte the
wo din the kaise jab hume chinta lesh matra na thi...
mujhe to bas apna wo bachpan yad aata hai...
0 stones hit me....wanna throw more??:
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