कभी - कभी I

While surfing internet, I found a poem as status message of one of my friends. I found this poem to be very interesting, then searched for whole poem and found 4 types of poem with same type of rhyming. Just added all 4 of them, converted them into Hindi and will publish all of this in several parts. Readers are requested to add some lines on their own at the end of the poem with same rhyme.

कभी अपनी हँसी पर भी आता है गुस्सा,
कभी सारे जहाँ को हसाने को जी चाहता है |
कभी छुपा लेते हैं गमों को दिल के किसी कोने में,
कभी किसी को सब कुछ सुनाने को जी चाहता है |
कभी रोता नहीं दिल टूट जाने पर भी,
और कभी यूँ ही आँसू बहाने को जी चाहता है |
कभी हँसी सी आ जाती है भीगी यादों में,
तो कभी सब कुछ भुलाने को जी चाहता है |
कभी अच्छा सा लगता है आज़ाद उड़ना कहीं,
और कभी किसी की बाहों में सिमट जाने को जी चाहता है |

2 comments:

  1. अच्छी रचना .
    कभी समय मिले तो हमारे ब्लॉग//shiva12877.blogspot.com पर भी अपनी एक नज़र डालें .

    ReplyDelete
  2. thank you
    your blog is a nice one.
    you certainly write with enthu and so u succeed to write so long and enriched content.
    Thanks for visiting :)
    I'll look for your future responses.

    ReplyDelete