Yesterday, 2 lines came into my mind aevae.So again i thought to elaborate it and again so did i...[:)].
It could be even more lengthy but didn't have time so just ended it, may be in future i'll try to add more lines.
It could be even more lengthy but didn't have time so just ended it, may be in future i'll try to add more lines.
Tone is a bit slow, hoping you'll read in the same tone i wrote it and will get the same feeling,i had while writing.
तेरे मुँह से निकले तो गाली भी हमें कुबूल है,
तेरे होठों से तो बस फूल ही बरसते हैं।
तू बस चुप ना यूँ बैठा कर,
तेरी आवाज़ से ही कितने दिल धड़कते हैं।
तेरी हर एक अदा इतनी खतरनाक है कि,
होश वाले भी यहाँ बहकते हैं।
तू जो नहीं तो कुछ भी नहीं है,
तेरे होने से ही तो हम चहकते हैं।
4 stones hit me....wanna throw more??:
nice one :)
@BFW:
thnx :)
ग़ज़ब की कविता ... कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है
@ संजय भास्कर :
बस सब आप लोगों से ही सीखा है ।
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